गेंहू ,चना ,चावल या और भी कोई अन्न,
ऐसे ही नहीं खाया जाता ,
पहले उसको दला ,पीसा,
भूना या उबाला जाता है
तब कहीं खाने के योग्य,
और सुपाच्य बनता है
हमारे समझदार नेता ,
खाने पीने वाले होते है ,
और अन्न ,भोलीभाली जनता है
वो पहले जनता को दुखों से दलते है,
परेशानियों से पीसते है,
मंहगाई से भूनते है
गुस्से से उबालते है
और उसकी मेहनत का करोड़ों रुपिया ,
बड़े प्रेम से डकारते है
कुछ जो ज्यादा जल्दी में होते है ,
कभी कभी कच्चा अन्न ही खा जाते है
और उनकी समझ में ये बात नहीं आती है
कि ज्यादा और जल्दी जल्दी खाने से,
अपच हो जाती है
मदन मोहन बाहेती' घोटू'
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