श्रीमती उषा जी,और उपस्तिथ सभी संगीत प्रेमियों और नन्हे कलाकारों ,
सर्व प्रथम मैं उषाजी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि इस सुरीले कार्यक्रम में
हमें बुला कर यह सन्मान दिया
संगीत सुरों का संगम है -सुर याने कि देवता -देवताओं का आशीर्वाद पाने के लिए
आपको साधना करनी होती है वैसे ही संगीत का ज्ञान पाने के लिए आपको साधना
करनी पड़ती है और यही साधना स्वर्गिक आनंद की अनुभूति कराती है
गीतकार गीत लिखता है संगीतकार उस गीत में जीवन भर देता है -संगीत के स्वर गीतों को
साँसे प्रदान करते है ,अमृत भरते है और वो गीत अमर हो जाता है -लाखो होठों पर
चढ़ जाता है -यह होता है संगीत का जादू
संगीत सीखना एक तपस्या है -हम ताड़ी सोचे की महीने दो महीने में या साल दो साल में
हम संगीत के मर्मज्ञ हो जाएंगे तो ये हमारी गलत फहमी है -बच्चों को यदि शुरू से ही सुरों का ज्ञान आ जाए
तो जिंदगी लय मय हो जाती है ,
हम ऑरेंज काउंटी वाले खुशनसीब है कि उषाजी जैसी कुशल ज्ञानी संगीत शिक्षिका
यहाँ मौजूद है और हमारे बच्चे इनसे ये ज्ञान प्राप्त कर सकते है क्योंकि
अगर सुरों का ज्ञान आ गया ,मानव की पहचान आगयी
इस जीवन की खींचतान में ,सुर आये तो तान आगयी
किन्तु लग्न और सच्चे मन से ,करो साधना है आवश्यक
समय लगेगा ,पर रियाज ही तुम्हे बनाती अच्छा गायक
हर बेटी कोयल सी कूके ,हर बेटा मुकेश सा गाये
सरस्वती की अगर कृपा हो ,अच्छा शिक्षक तुम्हे सिखाये
तो आप सब ,खास कर मेरे नन्हे संगीत सीखने वाले कलाकार ,बधाई के पात्र है
इतना सुन्दर कार्यक्रम प्रस्तुत करने के लिए -आपका बहुत बहुत धन्यवाद
जब उषाजी का निमंत्रण मिला तो समझ में नहीं आ रहा था की क्या बोलूं
तभी एक कल्पना आयी जिसने एक कविता का रूप ले लिया है ,मैं
आपको सुनाना चाहूंगा -आशा है अच्छी लगेगी
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