Wednesday, October 30, 2019

कुछ इधर की ,कुछ उधर की


कुछ इधर की,कुछ उधर की
बात  सारी ,दुनिया भर की
बहुत कुछ है  पोटली में ,
बंधा जीवन के सफर की

प्यार की कुछ मधुर बातें
विरह की दुखभरी  रातें
ठोकरों का है अनुभव
कुछ पुराना और कुछ नव
साथ देते मित्र थोड़े
खड़े  करते कोई रोड़े
मुश्किलें सारी डगर की
कुछ इधर की कुछ उधर की

सामाजिक कितने ही बंधन
कभी खुशियां ,कभी क्रंदन
माँ बहन और प्रिया वाले
रूप नारी के निराले
कभी कलकल ,कभी बादल
रूप कितने बदलता जल
बाढ़ की और समंदर की
कुछ इधर की ,कुछ उधर की

घोटू 

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