मै बूढा हूँ
नाना रूप धरे है मैंने ,मामा था अब नाना हूँ
कभी द्वारकाधीश कृष्ण था,अब तो विप्र सुदामा हूँ
दादागिरी जवानी में की ,अब असली में दादा हूँ
घोड़े जैसा चला ढाई घर ,अब छोटा सा प्यादा हूँ
फेंका गया किसी कोने में ,मै तो करकट कूड़ा हूँ
बहुत अवांछित और उपेक्षित,मै बुजुर्ग हूँ,बूढा हूँ
जीवन भर के उपकारों का,यही मिला प्रतिफल मुझको
तुम भी शायद ,भोगोगे ये,बूढा होना कल तुमको
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
नाना रूप धरे है मैंने ,मामा था अब नाना हूँ
कभी द्वारकाधीश कृष्ण था,अब तो विप्र सुदामा हूँ
दादागिरी जवानी में की ,अब असली में दादा हूँ
घोड़े जैसा चला ढाई घर ,अब छोटा सा प्यादा हूँ
फेंका गया किसी कोने में ,मै तो करकट कूड़ा हूँ
बहुत अवांछित और उपेक्षित,मै बुजुर्ग हूँ,बूढा हूँ
जीवन भर के उपकारों का,यही मिला प्रतिफल मुझको
तुम भी शायद ,भोगोगे ये,बूढा होना कल तुमको
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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