बदपरहेजी
ये सच है मैं तुम्हारा हूँ,तुम्हारा ही रहूंगा पर,
हुस्न बिखरा हुआ सब ओर है,दीदार करने दो
निमंत्रण दे रहे है फूल इतने,बाग़ में खिलते ,
ज़रा सी छूट दे दो ,मुझको इनसे प्यार करने दो
यूं तो अक्सर ही तुम इंकार,मुझसे करती रहती हो,
करोगी आज जो इंकार, मानूंगा न मैं हरगिज
रोज ही दाल रोटी, घर की खाता ,जैसी भी मिलती,
परांठा मिल रहा है,खाऊंगा,मुझको चढ़ी है जिद
मुझे मधुमेह है,मिठाई पर पाबंदियां है पर,
कब,कहाँ इसतरह मधु के छलकते जाम मिलते है
चार दिन ,चार गोली ज्यादा खा लूँगा दवाई की,
हमेशा चूसने को कब, दशहरी आम मिलते है
नहीं रोको तुम मुझे बस थोड़ी बदपरहेजी करने दो ,
बड़ी किस्मत से मिल पाते है,ये इतने हसीं मौके
देखलो फिर बगावत पर ,उतर आऊंगा वर्ना मै ,
आज पर रुक नहीं सकता ,भले कितना ,कोई रोके
घोटू
ये सच है मैं तुम्हारा हूँ,तुम्हारा ही रहूंगा पर,
हुस्न बिखरा हुआ सब ओर है,दीदार करने दो
निमंत्रण दे रहे है फूल इतने,बाग़ में खिलते ,
ज़रा सी छूट दे दो ,मुझको इनसे प्यार करने दो
यूं तो अक्सर ही तुम इंकार,मुझसे करती रहती हो,
करोगी आज जो इंकार, मानूंगा न मैं हरगिज
रोज ही दाल रोटी, घर की खाता ,जैसी भी मिलती,
परांठा मिल रहा है,खाऊंगा,मुझको चढ़ी है जिद
मुझे मधुमेह है,मिठाई पर पाबंदियां है पर,
कब,कहाँ इसतरह मधु के छलकते जाम मिलते है
चार दिन ,चार गोली ज्यादा खा लूँगा दवाई की,
हमेशा चूसने को कब, दशहरी आम मिलते है
नहीं रोको तुम मुझे बस थोड़ी बदपरहेजी करने दो ,
बड़ी किस्मत से मिल पाते है,ये इतने हसीं मौके
देखलो फिर बगावत पर ,उतर आऊंगा वर्ना मै ,
आज पर रुक नहीं सकता ,भले कितना ,कोई रोके
घोटू
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