कश्मीर की अवाम से
कहाँ गए वो पाकिस्तानी झंडे फहराने वाले ,
कहाँ हुर्रियत गयी,कहाँ पर बैठा, छुपा ,गिलानी है
पडी आपदा जब जनता पर ,सब के सब लापता हुए,
त्राहि त्राहि मच रही हर तरफ ,बस पानी ही पानी है
तावी तड़फ़ी,झेलम उफनी,तोड़ सभी मर्यादायें ,
इतनी नफरत बरसा दी है ,कुछ मजहब के अंधों ने
कितनी बर्बादी होती और कितनी ही जाने जाती ,
मदद नहीं पंहुचाई होती,अगर फ़ौज के बन्दों ने
तुम भारत का एक अंग हो,भाई हमारे ,प्यारे हो,
लोग सियासत करते उनको ,जहर घोलना आता है
तुम पर आफत टूटी,हमने जी भर के सहयोग दिया,
विपदा में भी भाई भाई का ,सच्चा साथ निभाता है
जो कश्मीर स्वर्ग धरती का ,उसको नर्क बना डाला ,
इतनी नफरत फैला दी है,इन अलगाववादियों ने
अब तो सोचो ,समझो ,जानो,है हमदर्द कौन ,किसका,
भाईचारा लौटा लाओ फिर कश्मीर वादियों में
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
कहाँ गए वो पाकिस्तानी झंडे फहराने वाले ,
कहाँ हुर्रियत गयी,कहाँ पर बैठा, छुपा ,गिलानी है
पडी आपदा जब जनता पर ,सब के सब लापता हुए,
त्राहि त्राहि मच रही हर तरफ ,बस पानी ही पानी है
तावी तड़फ़ी,झेलम उफनी,तोड़ सभी मर्यादायें ,
इतनी नफरत बरसा दी है ,कुछ मजहब के अंधों ने
कितनी बर्बादी होती और कितनी ही जाने जाती ,
मदद नहीं पंहुचाई होती,अगर फ़ौज के बन्दों ने
तुम भारत का एक अंग हो,भाई हमारे ,प्यारे हो,
लोग सियासत करते उनको ,जहर घोलना आता है
तुम पर आफत टूटी,हमने जी भर के सहयोग दिया,
विपदा में भी भाई भाई का ,सच्चा साथ निभाता है
जो कश्मीर स्वर्ग धरती का ,उसको नर्क बना डाला ,
इतनी नफरत फैला दी है,इन अलगाववादियों ने
अब तो सोचो ,समझो ,जानो,है हमदर्द कौन ,किसका,
भाईचारा लौटा लाओ फिर कश्मीर वादियों में
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
No comments:
Post a Comment