फिर से मेग्गी -चार दोहे
ना तो भाये पूरी कचौड़ी ,और ना भाये मिठाई
बहुत दिनों के बाद प्लेट में ,मेग्गी माता आई
मन में फुलझड़ियाँ छूटे ,फूटे खूब पटाखे
लक्ष्मीमाता को पूजेंगे ,मेग्गी नूडल खाके
वही सुनहरी प्यारी आभा,वो ही स्वाद पुराना
बहुत दिनों के बाद मिला है ये मनभावन खाना
नरम मुलायम यम्मी यम्मी ,खाकर मन मुस्कायो
दीवाली पर तुम्हे देख कर,'प्रेम रतन धन पायो '
घोटू
ना तो भाये पूरी कचौड़ी ,और ना भाये मिठाई
बहुत दिनों के बाद प्लेट में ,मेग्गी माता आई
मन में फुलझड़ियाँ छूटे ,फूटे खूब पटाखे
लक्ष्मीमाता को पूजेंगे ,मेग्गी नूडल खाके
वही सुनहरी प्यारी आभा,वो ही स्वाद पुराना
बहुत दिनों के बाद मिला है ये मनभावन खाना
नरम मुलायम यम्मी यम्मी ,खाकर मन मुस्कायो
दीवाली पर तुम्हे देख कर,'प्रेम रतन धन पायो '
घोटू
No comments:
Post a Comment