दिल के अरमां ,आंसूओ में खो गये
१
शाम को सजती,संवरती मै रही,
आओगे तुम,प्यार निज दरशाओगे
बाँध लोगे बांहों में अपनी मुझे ,
या कि मेरी बांहों में बंध जाओगे
आये थके हारे तुम ,खाया पिया ,
टी वी देखा और झटपट सो गये
क्या बताएं ,रात फिर कैसे कटी ,
दिल के अरमां ,आंसूओं में खो गये
२
मुश्किलों से पार्टी का पा टिकिट ,
उतरे हम चुनाव के मैदान में
गाँव गाँव ,हर गली ,सबसे मिले ,
पूरी ताकत झोंकी अपनी जान में
पानी सा पैसा बहाया ,सोच ये,
कमा लेंगे ,एम पी. जो हो गये
नतीजा आया ,जमानत जप्त थी,
दिल के अरमां , आंसूओं में खो गये
३
हुई शादी,प्यारी सी बीबी मिली,
धीरे धीरे ,बेटे भी दो हो गये
बुढ़ापे का सहारा ये बनेगें ,
लगा कर ये आस हम खुश हो गये
पढ़े,लिख्खे,नौकरी अच्छी मिली ,
हुई शादी,अलग हमसे हो गये
बुढ़ापे में हम अकेले रह गये,
दिल के अरमां , आंसूओं में खो गये
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
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