विवाह की वर्षग्रन्थी पर
मिलन का पर्व है ये ,आज बंधा था बंधन ,
ऐसा लगता है जैसे बात कोई हो कल की
बड़ी शर्माती तुम सिमटी थी मेरी बांहों में,
भुलाई जाती नहीं ,यादें सुहाने पल की
तुम्हारे आने से ,गुलजार हुआ ये गुलशन,
बहारें छा गई,रंगीन हुआ हर मौसम ,
बड़ा खुशहाल हुआ,खुशनुमा मेरा जीवन,
मिली है जब से मुझे ,छाँव तेरे आंचल की
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
मिलन का पर्व है ये ,आज बंधा था बंधन ,
ऐसा लगता है जैसे बात कोई हो कल की
बड़ी शर्माती तुम सिमटी थी मेरी बांहों में,
भुलाई जाती नहीं ,यादें सुहाने पल की
तुम्हारे आने से ,गुलजार हुआ ये गुलशन,
बहारें छा गई,रंगीन हुआ हर मौसम ,
बड़ा खुशहाल हुआ,खुशनुमा मेरा जीवन,
मिली है जब से मुझे ,छाँव तेरे आंचल की
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
No comments:
Post a Comment