Monday, September 27, 2010

मैंने पंखुड़ी में गुलाब की,हंसती बिजली ना देखी थी

मैंने पंखुड़ी में गुलाब की,हंसती बिजली ना देखी थी
बारह मास रहे जो छाई ,ऐसी बदली ना देखी थी
ना देखे थे क्षीर सरोवर,उनमे मछली ना देखी थी
सारी चीजे नज़र आ गई मैंने तुझको देख लिया है
तीर छोड़ फिर तने रहे वो तीर कमान नहीं देखे थे
पियो उम्र भर पर ना खाली हो वो जाम नहीं देखे थे
गालों की लाली में सिमटे वो तूफ़ान नहीं देखे थे
सारी चीजें नज़र आगई मैंने तुझको देख लिया हैं
चमके पूनम और अमावास ऐसा चाँद नहीं देखा था
गंगा जमुना के उदगम का ये उन्माद नहीं देखा थाi
जहाँ फूल में फल विकसे हों ऐसा बाग नहीं देखा था
सारी चीजें नज़र आगई मैंने तुझको देख लिया हैं
ढूंढा घट घट ,घट पर पनघट ,घट पनघट पर ना देखे थे
सरिता की लहरों में मैंने भरे समंदर ना देखे थे
कदली के स्तंभों ऊपर लगे आम्र फल ना देखे थे
सारी चीजें नज़र आगई मैंने तुझको देख लिया है

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