Sunday, September 26, 2010

chaya ka pyala

चाय का प्याला

एक बार जब नीलगिरी में
पहुँच गया मैं मतवाला
हरी ओदनी में बेठी थी
एक सलोनी सी बाला
बोली मुझको देख रहे क्यों
प्यार भरी नज़रों से तुम
मुझको पाना हो तो पीलो
गरम चाय का एक प्याला

रोज़ लगा कराती होठों से
रंग गुलाबी है प्यारा
जिसके रगरग में गर्मी है
रातों हमें जगा डाला
यदि बिस्तर पर मिल जाये तो
कितनी प्यारी लगती है
पत्नी के सब गुण हैं जिसमे
वो है चाय भरा प्याला

भला बताओ किसके मन में
नहीं चाह की है ज्वाला
बोलो जग में कौन नहीं है
किसी चाह में मतवाला
टेडी मंदी चाह रह है,
मुश्किल राहत चाहत में
चाह राह में आह मिले तो
पीयो चाय भरा प्याला

रूप जल भ्रमजाल कठिन है
खोया मई भोलाभाला
श्वेत रंग में मन उलझा कर
भटक रहा था मतवाला
लेकिन एक सलोनी बाला
मुझे रास्ता दिखा गयी
कला तन रस रंग गुलाबी
मिला चाय का एक प्याला

भेद भाव को दूर भगाने,
होटल है मंदिर आला
जिस प्याले से भंगी पीता,
उससे ही पीता लाला
मेरा अगर चले बस तो
हर मंदिर में होटल खोलू
चरणामृत के बदले बाटू
सबको चाय भरा प्याला

दूध दही की नदिया बहती,
है यह बात बड़ी आला
लेकिन इस पर नहीं भरोसा
करता कोई समझ वाला
अरे दूध काभी क्या पीना,
वो तो बच्चे पीते है
समझदार की परिभाषा है,
पीये चाय भरा प्याला

गंगा जैसी बहती आई,
उजली दूध भरी धरा
सरस्वती सी शकर गुप्त थी,
जमना जैसी जल धारा
रेती ने रंग किया गुलाबी,
जब ये तीनो धर मिली
ये ही संगम,ये ही त्रिवेणी
ये है चाय भरा प्याला

कभी कंही कोई उपवन में,
हरी भरी थी एक बाला
प्रेमी ने दिल जला दिया तो,
जल कर रंग हुआ कला
अरमानो का खून जमा है
पर उस काली काया में
जो आंसू से घुलमिल बनता,
गर्म चाय जा एक प्याला

रोज सुबह जलती है लाखों
के मन में किसकी ज्वाला
रोज सुबह लाखों होठों को
कौन चूमता मतवाला
रोज सुबह किसका आना सुन
आँखों में आती रौनक
कई करोड़ों प्रेमी जिसके
वह है एक चाय प्याला


अगर प्रियतमा पास नहीं हो
और समा हो मतवाला
तारे गिन गिन रात गुजारा
करता था प्रिय दिलवाला
विरही दिल की विरह वेदना
कम करने आया जग में
आँखों में ही रात कटे यदि
पियो चाय का एक प्याला


जिन होठों को चूमा करता
रोज रोज ही जो प्याला
उस प्याले को चूम रहा मैं
खुशनसीब हूँ मतवाला
इसका मतलब किसी तरह भी
मैंने उनको चूम लिया
प्रेमी दिल की प्यास बुझाने
आया चाय भरा प्याला


देखी होगी मधुबाला भी
देखी होगी मधुशाला
छलक जाए जो जाम अगर तो
बिखर जाए सारी हाला
पर यदि छलके तो नीचे
आस लगाये प्लेट पड़ी
हाला से ज्यादा प्यारा है
सबको चाय भरा प्याला

दृश्य अभी भी बसा हुआ है
मन में प्रथम मिलन वाला
शरमा सकुचाती आई तुम
नजरें झुका लिए प्याला
मैंने भी झुक तेरी पहली
छवि देखी थी प्याले में
फिर होठों से लगा लिया था
तेरा चाय भरा प्याला

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