ऐसे आओ तुम सन ग्यारह
भ्रष्टाचार खड़ा मुह बाये
महगाई ने पग पसराए
लूटपाट और रिश्वतखोरी
आज कर रहे है मुह्जोरी
बेईमानी इतनी फैली
लगती है हर गंगा मैली
ये हो जाये नो दो ग्यारह
ऐसे आओ तुम सन ग्यारह
उठा रहे है सर आतंकी
वर्षा होती काले धन की
पग पग पर जनता का शोषण
बढता ही जा रहा प्रदूषण
एसा सूरज बन कर चमको
दूर हटादो सारे तम को
दो हज़ार बारह आने तक
हो जाये सबकी पोबारह
ऐसे आओ तुम सन ग्यारह
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