Thursday, January 6, 2011

हमने छोड़ दी पीनी शराब

छलकते जाम से है लब तुम्हारे अंगूरी
नशीली है तुम्हारे नैन की चितवन चंचल
उम्र भर पीते रहो पर कभी न खाली हो
तुम्हारा जिस्म है पूरी शराब की बोतल
प्यार से देख भी लेती हो नशा छाता है
तेरे हाथों की छुवन काफी है नशे के लिए
तुम्हारी बाते नशीली है इस कदर जालिम
हमने छोड़ दी पीनी शराब नशे के लिए
a

No comments:

Post a Comment