झगडे तो अब भी होते है
छोटी छोटी सी बातों में
अक्सर जब अनबन होती है
एक ही बिस्तर पर दूर दूर
हम मुहं को फेरे सोते है
झगडे तो अब भी होते है
अब भी जब सजते धजते है
तो कितने सुन्दर लगते है
लेकिन उनकी तारीफ़ न की
हो खफा ,सिसकते रोते है
जब घर वालो से नज़र बचा
हम रोमांटिक हो जाते है
वो झल्लाते है ,शरमा कर
फिर बाहुपाश में होते है
हम तो सोंदर्य उपासक है
कोई सुन्दर सी महिला को
देखा और जो तारीफ़ करदी
वो जल कर पलक भिजोते है
है शुगर हमारी बढ़ी हुई
लेकिन है शोक मिठाई का
हम चुपके चुपके खाते है
तो खफा बहुत वो होते है
उनके मैके से कभी कभी
जब फोन कोई आजाता है
टी वी का वोल्यूम कम न किया
वो अपना आपा खोते है
जब उनके खर्राटे सुन कर
खुल जाती नींद हमारी है
हम उनकी नाक दबा देते
चुपचाप चैन से सोते है
जब हमको गुस्सा आता है
और ब्लड प्रेशर बढ जाता है
अक्सर हमको या फिर उनको
करने पड़ते समझोते है
झगडे तो अब भी होते है
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