हनीमून वाला पागलपन
बुढ़ापे का दीवानापन
बोलो इन में क्या अंतर है?
एक अनजाना ,एक अनजानी
लिखने लगते नयी कहानी
कुछ उत्सुकता ,कुछ आकर्षण
ढूँढा करते है अपनापन
एक दूजे के तन में ,मन में
या अनोखे पागलपन में
थोड़े सहमे ,कुछ घबराये
आकुल व्याकुल पर शर्माए
प्रेम पुष्प करते है अर्पित
एक दूजे को पूर्ण समर्पित
हनीमून तो शुरुवात है
चालू करना नया सफ़र है
हनीमून वाला पागलपन
बुढ़ापे का दीवाना पन
देखो इनमे क्या अंतर है
और बुढ़ापे के दो साथी
एक दिया है और एक बाती
लम्बा सफ़र काट, सुस्ताते
करते याद पुरानी बातें
क्या क्या खोया ,क्या क्या पाया
किसने अपनाया, ठुकराया
एक दूजे पर पूर्ण समर्पण
वही प्रेम और दीवानापन
हैं अशक्त ,तन में थकान पर
एक दूजे की बांह थाम कर
सारा जीवन संग संग काटा
अब भी आपस में निर्भर है
हनीमून वाला पागलपन
बुढ़ापे का दीवानापन
देखो इन में क्या अंतर है
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