Saturday, February 5, 2011

एसा बसंत आये

कली में महक हो ,
तरु पर चहक हो
पवन की पलक पर
सुमन की लहक हो
सभी मुस्कराए
सभी दिल मिलाएं
हर डाल बिकसे
नए पुष्प आये
झडे पान पीले,तरुण हर तरु हो
इस शीत का भी ,कभी अंत आये
जन जन हँसे और जीवन हँसे
सब रहें खुश कि एसा बसंत आये


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