Monday, April 11, 2011

, बुजुर्गों से

 तुम कहते हो ,तुम बुजुर्ग हो,तुम में अनुभव भरा हुआ है
तुमने ही सींचा ,पाला है,वृक्ष तभी यह हरा हुआ है
पर अब तुम सूखे पत्ते हो ,नयी कोंपलों को खिलने दो
हम भी क्या क्या कर सकते है,मौका हमको भी मिलने दो
हम बूढें है, हम वरिष्ठ है,बंद करो, मत रोवो धोवो
खाओ,पीवो;रहो चैन से ,टी वी देख प्रेम से सोवो
खुद भी सोवो ,और चैन से ,अब तुम हमको भी सोने दो
हम निज बलबूते  निपटेंगे,जो भी होता है, होने दो
अरे पुराने कपड़ो के तो,बदले में आ जाते बरतन
और तुम खाली बर्तन जैसे,दिन भर करते रहते ,ठन ठन
बहुत दिनों तक झेल लिया है ,और झेल पाना है भारी
हरिद्वार या वृद्धाश्रम में,रहने की अब उमर तुम्हारी
        

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