हो गयी क्या गड़बड़ी है-जो फसल सूखी पड़ी है
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बीज तो मैंने उगा कर,खेत से अपने दिए थे,
फिर न जाने हो गयी क्यों,इस फसल में गड़बड़ी है
आ रहे है बालियों में,कुछ पके अनपके दाने ,
और कितनी बालियाँ है ,जो अभी खली पड़ी है
थी बड़ी उपजाऊ माटी,खाद भी मैंने दिया था
खेत को मैंने बड़े ही ,जतन से सिंचित किया था
हल चलाया था समय पर,करी थी अच्छी जुताई
और अच्छे बीज लेकर ,सही मुहुरत में बुवाई
उगे खा पतवार सारे ,छांट कर मैंने निकाले,
बहुत थे अरमान लेकिन ,गाज मुझ पर गिर पड़ी है
हो गयी क्या गड़बड़ी है ,जो फसल सूखी पड़ी है
न तो ओले ही गिरे थे,और ना ही पड़ा पाला
सही मौसम ,सही बारिश ,सभी कुछ देखा संभाला
मगर पश्चिम की हवाएं ,कीट ऐसे साथ लायी
कर दिया बर्बाद ,फसलें,पनपने भी नहीं पायी
कर रहा हूँ जतन भरसक,लाऊ ऐसा कीटनाशक,
जो की फिर से लहलहा दे,फसल जो सूखी पड़ी है
हो गयी क्या गड़बड़ी है,फसल जो सूखी पड़ी है
मदन मोहन बहेती 'घोटू'
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बीज तो मैंने उगा कर,खेत से अपने दिए थे,
फिर न जाने हो गयी क्यों,इस फसल में गड़बड़ी है
आ रहे है बालियों में,कुछ पके अनपके दाने ,
और कितनी बालियाँ है ,जो अभी खली पड़ी है
थी बड़ी उपजाऊ माटी,खाद भी मैंने दिया था
खेत को मैंने बड़े ही ,जतन से सिंचित किया था
हल चलाया था समय पर,करी थी अच्छी जुताई
और अच्छे बीज लेकर ,सही मुहुरत में बुवाई
उगे खा पतवार सारे ,छांट कर मैंने निकाले,
बहुत थे अरमान लेकिन ,गाज मुझ पर गिर पड़ी है
हो गयी क्या गड़बड़ी है ,जो फसल सूखी पड़ी है
न तो ओले ही गिरे थे,और ना ही पड़ा पाला
सही मौसम ,सही बारिश ,सभी कुछ देखा संभाला
मगर पश्चिम की हवाएं ,कीट ऐसे साथ लायी
कर दिया बर्बाद ,फसलें,पनपने भी नहीं पायी
कर रहा हूँ जतन भरसक,लाऊ ऐसा कीटनाशक,
जो की फिर से लहलहा दे,फसल जो सूखी पड़ी है
हो गयी क्या गड़बड़ी है,फसल जो सूखी पड़ी है
मदन मोहन बहेती 'घोटू'
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