मातृदिवस
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मातृदिवस को मत रहने दो,तुम केवल एक मात्र दिवस
रोज करो सेवा माता की ,रोज मनाओ मातृदिवस
माँ झरना आशिवादों का , माँ ममता का सागर है
माँ सुरसरी स्नेह की है, कोई न माँ से बढ़ कर है
माता का ही तो प्रसाद है,ये तुम्हारा तन ,मन ,धन
जन्मदायिनी ,पालक, पोषक,सब माता है करो नमन
माँ का ऋण न चुका पाओगे,कितनी ही सेवा करलो
खुश किस्मत हो ,माँ है, आशीर्वादों से झोली भरलो
रोज करो सेवा माता की ,रोज मनाओ मातृदिवस
मातृदिवस को मत रहने दो,तुम केवल एक मात्र दिवस
मदन मोहन बहेती 'घोटू'
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मातृदिवस को मत रहने दो,तुम केवल एक मात्र दिवस
रोज करो सेवा माता की ,रोज मनाओ मातृदिवस
माँ झरना आशिवादों का , माँ ममता का सागर है
माँ सुरसरी स्नेह की है, कोई न माँ से बढ़ कर है
माता का ही तो प्रसाद है,ये तुम्हारा तन ,मन ,धन
जन्मदायिनी ,पालक, पोषक,सब माता है करो नमन
माँ का ऋण न चुका पाओगे,कितनी ही सेवा करलो
खुश किस्मत हो ,माँ है, आशीर्वादों से झोली भरलो
रोज करो सेवा माता की ,रोज मनाओ मातृदिवस
मातृदिवस को मत रहने दो,तुम केवल एक मात्र दिवस
मदन मोहन बहेती 'घोटू'
सच कहा आपने ...माँ का तो हर दिन होता है.... बहुत सुंदर पंक्तियाँ रची हैं...
ReplyDeleteसही और सुंदर लिखा आपने..... अच्छा लगा ...सादर
ReplyDeleteआपका कमेन्ट पढ़ा |मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आभार |मैंने भी
ReplyDeleteआगर से सन५६-५७ में हाई स्कूल पास किया था |वहां मेरे बाबूजी जज थे |मुझे ऐसा लगा कि शायद आपके पिताजी वहाँ वकील थे |
आपकी अच्छी पोप्स्त के लिए बधाई |
आशा