Tuesday, May 3, 2011

सच ,तुम जैसी हो ,बड़ी अच्छी हो

जब मै सोया होता हूँ,
तो मुझे झझकोर कर,
यूँ तो तुम मुझे कई बार जगाती हो
शायद मेरे खर्राटों से तंग होकर,
या बच्चों को स्कूल छोड़ने जाने के लिए,
या चाय का प्याला ठंडा न हो जाये इसलिए,
लेकिन कभी कभी जब तुम मुझे,
प्यार से सहला कर,यूँ ही जगा देती हो
तो तुम्हारी ये मादक जगाहट,
सचमुच मुझे निहाल कर देती है
या कभी जब तुम सज धज कर,
मेरे सामने आती हो
और तुम्हारे बिना पूछे की तुम कैसी लग रही हो
मै तुम्हारी तारीफ़ कर देता हूँ
तो तुम्हारे चेहरे पर आई ,संतुष्टि की मुस्कान
सच मुच बड़ी लुभावनी होती है
या जब नौकर या कामवाली बाई के ना आने पर
जब तुम बहुत व्यस्त और पस्त हो जाती हो
तो तुम्हारे कामो में मेरे  थोड़े से हाथ बँटा देने पर
तुम्हारी आँखों में आया धन्यवाद् का भाव
मुझे कितना गदगद कर देता है
या फिर जब कभी भी तुम मिठाई बनाती हो,
और मेरे डाईबिटिक होने के बावजूद भी
मीठी मीठी मनुहार कर
पहले मुझे चखाती हो
सच जीवन में कितना मिठास भर जाता है
या फिर तुम्हारे बिना जिद किये ,
जब मै तुम्हारे लिए कोई साडी या गहना,
तुम्हे सरप्राईज गिफ्ट देने को ले आता हूँ
तो तुम्हारा मुझ से ख़ुशी से लिपट जाना
कितना रोमांचक होता है
कभी कभी जब मेरी कुछ बात
तुम्हारी समझ में नहीं आती
पर तुम मुस्कराकर समझ जाने का अभिनय करती हो
तब कितनी समझदार लगती हो
और जब मेरी शरारत के जबाब में
तुम भी शरारत पर उतर आती हो
तो जिंदगी में कितना आनंद आ जाता है
बस तुम इसी तरह
मेरी जिंदगी में
हंसी ख़ुशी और रस की बरसात करती रहना
क्योकि तुम मुझ से बे इन्तहां मोहब्बत करती हो
और दिल की सच्ची हो
सच ,तुम जैसी हो ,बड़ी अच्छी हो

मदन मोहन बहेती 'घोटू'





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