Sunday, June 19, 2011

शाश्वत सत्य

शाश्वत सत्य
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भारत की धर्मपरायण जनता,
जब श्रद्धा लुटाती है
मंदिर और मठों की,
साधू और संतों की
चांदी ही चांदी है
भक्त लोग गुरुओं पर,
श्रद्धा के पत्र पुष्प,
प्रेम से चढातेहैं
चमत्कार होता है,
ये  सारे पत्र पुष्प,
नोटों के बण्डल में ,
बदल बदल जाते है
अगर धर्म गुरुओं के,
सोने के कमरे में
मिलता जो सोना है 

अचरज क्यों होना है?

मंदिर के गर्भगृह में ,
मिलता यदि अरबों का खजाना है
तो क्यों चकराना है?
मगर इस जीवन का,
सत्य ये शाश्वत है
राजा हो,रानी हो
संत,गुरु,ज्ञानी हो
खाली हाथ आता है
खाली हाथ जाता है'
 मदन मोहन बाहेती'घोटू'
 

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