Monday, June 20, 2011

अपनो की मार

    अपनो की मार
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            १
आँखों का काजल,
वो ही चुरा सकता है
जो आँखों में बसता है
               २
अकेली लोहे की कुल्हाड़ी
बिलकुल बेबस है बेचारी
लेकिन हत्ते की लकड़ी जब लगती है
तो लकड़ी का पूरा जंगल,
काट वो सकती है
                ३
दही ,दूध का जाया है
मगर ,उसी के एक कतरे ने
दूध को भी जमाया है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
 






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