Tuesday, July 19, 2011

डुगडुगी

डुगडुगी
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सुनो डुगडुगी राजा
काहे रोज बजाते बाजा
करते नित्य ताज़ा ताज़ा,
              बकवास हो
तुम सत्ता में कभी थे
चुक चुके हो तुम कभी के
मन में सपने गद्दी के
                करते आस हो
करते बातें ऊलजुलूल
अपनी मर्यादा को भूल
बजते रहना यूं ही फिजूल
             कुछ भी बात हो
तुम जो बकते हो दिनरात
लोग बतलाते है बात
सर पर प्रिंस का है  हाथ
            उसके खास हो
घोटू

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