Thursday, August 11, 2011

बीज हूँ मै

बीज हूँ मै
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अंकुरित,फिर पल्लवित फिर फलित होती चीज हूँ मै
                                                               बीज हूँ मै
हूँ सृजन का मूल मै ही ,विकसता हूँ मै प्रति पल
जगत का ये चक्र सारा,चलित है बस मुझी के बल
वृक्ष हूँ मै,पत्तियां हूँ,मंजरी हूँ और फल भी
मै कली हूँ,पुष्प भी हूँ,प्रफुल्लित हूँ आज,कल भी
मनुज हो चाहे पशु हो,सभी का उद्भव मुझी से
पंछियों की चहचाहट और मधुर कलरव  मुझी से
धरा ने जब धरा मुझको,तो हुआ प्रजनन मुझी से
आज सब हलचल जगत की,चल अचल जीवन मुझीसे
 सूक्ष्म  हूँ मै अति लघु पर,दीर्घता मुझमे छुपी है
नज़र आता एक हूँ पर बहुलता मुझमे छुपी है
मै अणु हूँ,समाहित मुझमे अणु विस्फोट शक्ति
बीज रूपित सुरक्षित थी,प्रलय के उपरान्त सृष्टि
आज विकसित जगत के प्रासाद की दहलीज हूँ मै
                                                    बीज हूँ मै

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

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