भ्रम
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भ्रमर को भ्रम था कली को प्यार उससे,
मगर कलिका सोचती थी भ्रमर काला
जिंदगी में मिले साथी कोई सुन्दर,
चाह थी यह और भ्रमर को त्याग डाला
और पवन संग रही भिरती,डोलती, वह,
मिलन के सपने सजाये, बड़ी आतुर
और आवारा पवन सब खुशबू चुरा कर,
मौज लेकर जवानी की हो गया फुर
और अब वह सोच कर के यह दुखी है,
पवन से तो भ्रमर ही ज्यादा भला था
दिये उसने कई चुम्बन के मधुर क्षण,
भले काला और थोडा मनचला था
भ्रमर भ्रम में था की वो कलिका भ्रमित थी,
चाह में रंग रूप के उलझी रही वो
क्योंकि काला था रसिक प्रेमी भ्रमर वो,
त्याग कर के अब बहुत पछता रही वो
देख कर रंग रूप केवल बाहरी तुम,
अहम निर्णय जिन्दगी के नहीं लेना
कई प्रेमी मिलेंगे,रस चूस लेंगे,
मगर सच्चे प्यार को ठुकरा न देना
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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भ्रमर को भ्रम था कली को प्यार उससे,
मगर कलिका सोचती थी भ्रमर काला
जिंदगी में मिले साथी कोई सुन्दर,
चाह थी यह और भ्रमर को त्याग डाला
और पवन संग रही भिरती,डोलती, वह,
मिलन के सपने सजाये, बड़ी आतुर
और आवारा पवन सब खुशबू चुरा कर,
मौज लेकर जवानी की हो गया फुर
और अब वह सोच कर के यह दुखी है,
पवन से तो भ्रमर ही ज्यादा भला था
दिये उसने कई चुम्बन के मधुर क्षण,
भले काला और थोडा मनचला था
भ्रमर भ्रम में था की वो कलिका भ्रमित थी,
चाह में रंग रूप के उलझी रही वो
क्योंकि काला था रसिक प्रेमी भ्रमर वो,
त्याग कर के अब बहुत पछता रही वो
देख कर रंग रूप केवल बाहरी तुम,
अहम निर्णय जिन्दगी के नहीं लेना
कई प्रेमी मिलेंगे,रस चूस लेंगे,
मगर सच्चे प्यार को ठुकरा न देना
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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