Wednesday, August 24, 2011

साड़ी

साड़ी
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कई बार मै सोचा करता हूँ रातों में
नारी नर से अग्रणीय क्यों सब बातों में
घर घर वह देवी सी क्यों पूजी जाती है
नर नौकर पर नारी रानी कहलाती है
इसका कारण मुझे समझ में अब आया है
शायद यह सब केवल साडी की माया है
साडी,जी हाँ,किन्तु आप चकराते क्यों है
साडी देखी उधर नज़र ललचाते क्यों है
साडी ना,साडी वाली के गुनगाहक है
साडी को कर रहे तिरस्कृत ये नाहक है
सचमुच  ही हम  पुरुष लोग है बड़े अनाड़ी
अभी तलक पहचान ना पाए ,क्या है साडी
पेंट कोट के इस लफड़े में पड़े हुए हैं
झूंठे  फेशन के चक्कर में अड़े हुए है
अरे पेंट के बटन टूटते धोबी के घर
और पाजामे का नाड़ा भी होता बाहर
टूटे बटन सियो,नाड़े का फिर हंगामा
बतलाओ,साडी अच्छी या पेंट पाजामा
दोनों टांगें बिछुड़ा करती पाजामे में
दरजी का खर्चा होता है सिलवाने में
साडी मिला रही टांगों को ,वह भी ढक कर
निश्चित  ही साडी ही है इन सब से बेहतर
साडी,गागर,जिसमे सागर भरा हुआ है
इतने गुण है ,कि हम सब का भला हुआ है
मौका पड़ने पर चादर भी बन जाती है
खूब बिछाओ,ओढो,सभी काम आती है
'करटन' सा लटका सकते हो दरवाजे पर
सब्जी भी तुम ला सकते हो झोली  भर कर
गर्मी में आँचल का फेन बना सकते हो
बिन रुमाल के भी तुम काम चला सकते हो
झगडे कि नौबत आये तो कमर कसोगे
मौके पर फांसी का फंदा बांध सकोगे
तन ढकता है,मक्खी मच्छर दूर भगेंगे
और फट गयी,तो दो पेटीकोट बनेंगे
इतनी अच्छी,फिर भी फेशन कहलाती है
इसीलिए तो साडी सबके मन भाती है
जब गलती होती तो नाम प्रभू का लेते
पर अब गलती करने पर हम'सारी' कहते
तो क्या ये सारी या साडी देवीजी है
शायद इसीलिए नारी इन पर रीझी है
जितनी देवी कि तस्वीरें पड़ी दिखायी
कोई भी स्कर्ट धारिणी नज़र ना आयी
हो सकता है साडी ही पूजी जाती हो
या साडी के कारण वो देवी कहलाती हो
कुछ भी हो जी ,साडी सचमुच,'दी ग्रेट'है
दुःख में देती काम,मनुज की बड़ी 'पेट' है
दुःख में राजा नल के आयी कौन अगाड़ी?
साथी थी वह दमयंती की आधी साडी
चीर हरण के समय द्रोपदी पर जब बीती
लाज रखी उसकी वह भी तो साडी ही थी
यह पुराण की कथा कह रही बन कर ज्योति
पांच पति से बढ़ कर है एक साडी होती
इतनी बातें सोच आज आया हूँ कहने
मेरे पुरुष दोस्तों,हम भी साडी पहने
सच कहता हूँ,सुख और सुविधा हो जायेगी
साडी लख,साडी वाली भी ढिग आएगी
पेंट कोट में कसे कसे रहने के बदले
साडी में हम हो जायेंगे उरले,पुरले
बचत योजना है ये,खर्चा  घट जायेगा
दरजी का,धोबी का खर्चा  कट जायेगा
 आधा दर्जन साडी घर में सिर्फ रखेंगे
उलट पुलट कर मियां बीबी पहन सकेंगे
होगी इतनी बचत,योजना सफल बनेगी
खुद साडी लायेंगे,बीबी और मनेगी
एक ड्रेस में इक्वल होंगे सब नर नारी
बहुत बोअर कर दिया आपको,अच्छा,सारी

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

 
 

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