Friday, August 12, 2011

बदलाव

  बदलाव
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          देख कर के परिस्तिथियाँ
           ग्रह और नक्षत्र, तिथियाँ
हवाओं का रुख समझ कर,सोच पड़ता है बदलना
सीख अब मैंने लिया है,समय के अनुसार चलना
 जिंदगी भर जूझता ही रहा दुनिया के चलन से
बाँध कर खुद को रखा था,संस्कारों की कसम से
रहूँ पथ पर अडिग अपने,बहुत चाहा,बहुत रोका
मगर इस जीवन सफ़र में,मिला मुझको बहुत धोका
          स्वजनों ने भी न छोड़ा
          बहुत तोडा और मरोड़ा
हार कर के पड़ा मुझको,वक्त  के अनुसार ढलना
सीख अब मैंने लिया है,समय के अनुसार चलना
ये नहीं है की हमेशा  ही मिली है हार मुझको
अगर सों दुश्मन हुए तो,मिला दस का प्यार मुझको
विफलता के दंश झेले, सफलता भी पास आयी
बहुत से तूफ़ान आये, नाव मेरी डगमगायी
            और जालिम जमाने की
            नाव मेरी डुबाने   की
बहुत कोशिश की मगर था,भंवर से मुझको निकलना
सीख अब मैंने लिया है,समय के अनुसार  चलना
हर तरफ बस है प्रदूषण,गन्दगी  सब ओर  फैली
सिर्फ गंगा ही नहीं अब ,हो रही  हर नदी मैली
स्वयं राजा ,सिपाही तक,लूट में हर एक लगा है
भले अपने या पराये, दे रहे सारे दगा  है
              लडूं इनसे ,बहुत चाहा
              बहुत तडफा,छटपटाया
मुश्किलें ही मुश्किलें थी,पड़ा गिर गिर के संभालना
सीख अब मैंने लिया है,समय के अनुसार चलना

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'


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