Friday, November 11, 2011

सोने की चेन और चैन का सोना

सोने की चेन और चैन  का सोना
-------------------------------------
बहुत शिकायत मुझसे तुमको,कि मै बड़ी देर सोता हूँ
होश नहीं रहता सपनो में,मै इतना गाफिल होता हूँ
चिंतामुक्त आदमी होता,नींद उसे आती आती है गहरी
इसीलिए मै सो जाता हूँ,भले रात हो या दोपहरी
सोना नींद चैन कि केवल,किस्मत वालों के नसीब में
तुम भी सोती नीद प्रेम से,भर खर्राटे बीच बीच में
नींद बड़ी गहरी आती है,जब कोई मेहनत कर थकता
पैसे वाला परेशान है,करवट लेता सिर्फ बदलता
सोना तो सचमुच सोना है,सबके मन को प्रिय लगता है
पर जिसके घर ज्यादा सोना,रातों रात सदा जगता है
त्रेता युग में कुम्भकरण जो रावण का भाई होता था
रामायण ये बतलाती है,वो छह छह महीने   सोता था
वो राक्षस था मगर देव भी,चार चार महीने सोते है
रहते प्रेमी दुखी इन दिनों,शादी ब्याह नहीं होते है
राक्षस,मानव,देव सभी को,होती है आदत सोने की
मुझे चैन   से सोने दो, ला दूंगा चेन तुम्हे सोने की
मुझे जगाती ही रहती हो,जब मै सपनो में खोता हूँ
नहीं शिकायत करना अब तुम,कि मै बहुत देर सोता हूँ

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

No comments:

Post a Comment