Monday, December 12, 2011

ग़ज़ल-प्यार की

ग़ज़ल-प्यार की
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भावना में ज्वार होना चाहिये
तब किसी से प्यार होना चाहिये
ये नहीं वो चीज जो बंटती फिरे,
एक से ,एक बार होना चाहिये
जिधर भी जाए तुम्हारी  ये नज़र,
यार का दीदार होना  चाहिये
बुढ़ापा हो या जवानी उम्र की,
ना कोई दीवार होना चाहिये
एक दूजे के लिए ही है बने,
सोच ये हर बार होना चाहिये
आग जब दोनों तरफ ही हो लगी,
समर्पण,अभिसार होना चाहिये
महोब्बत के फूल खिलते ही रहें,
जिंदगी गुलजार होना  चाहिये
चाहे डूबो या रहो तुम तैरते,
रस भरा संसार होना चाहिये
प्यार का लम्बा चलेगा ये सफ़र,
आपसी एतबार होना चाहिये

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

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