चुनाव के बाद
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१
मिनिस्टर थे,हार कर के इलेक्शन ऐसा लगा
गये वो दिन ,जब कि मियां मारते थे फ़ाकता
अब समझ में आ रहा है,जिंदगी का फलसफा,
सेज फूलों की गयी और चुभे कांटे ,खामखाँ
२
गोपियाँ थी,मस्तियाँ थी,और थे संग ग्वाल बाल
खूब मचता था बिराज में,कृष्ण का होली धमाल
द्वारका के धीश जब से बन गये है कृष्ण जी,
औपचारिता निभाने को लगा लेते बस गुलाल
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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मिनिस्टर थे,हार कर के इलेक्शन ऐसा लगा
गये वो दिन ,जब कि मियां मारते थे फ़ाकता
अब समझ में आ रहा है,जिंदगी का फलसफा,
सेज फूलों की गयी और चुभे कांटे ,खामखाँ
२
गोपियाँ थी,मस्तियाँ थी,और थे संग ग्वाल बाल
खूब मचता था बिराज में,कृष्ण का होली धमाल
द्वारका के धीश जब से बन गये है कृष्ण जी,
औपचारिता निभाने को लगा लेते बस गुलाल
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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