नाम और काम
सजना कभी नहीं कहते है तुमसे सज ना
दर्पण कभी नहीं कहता है दर्प न करना
नदिया ऐसी कोई नहीं जिसने न दिया हो
पिया न जिसने कभी अधर रस नहीं पिया हो
सूरज में रज नहीं मगर सूरज कहलाता
और समंदर ,जिसके अन्दर सभी समाता
वन देते है जीवन,वायु आयु प्रदायक
और जल,जलता नहीं,सदा शीतलता दायक
सभी तरफ दिखता समान वो आसमान है
प्रकृति की हर एक कृति,अद्भुत ,महान है
धरा, सभी कुछ इसी धरा में,ये माँ धरती
इशवर के ही वर से हम तुम है और जगती
जग मग ,जग को करते,सूरज चंदा तारे
सार युक्त संसार,अनोखे सभी नज़ारे
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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