Monday, November 26, 2012

तौलिया

                तौलिया
मै जो अगर तौलिया होता
टपक रहा तेरा तन छूकर ,वो अमृत तो पिया होता
लिपट चिपट कंचन काया से ,कितने ही पल जिया होता
जिस सुख को दुनिया तरसे है ,वो आनंद तो लिया  होता
यही सोच मन आनंदित है, मैंने क्या क्या  किया होता
मै जो अगर तौलिया होता
घोटू

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