आज ये मन
प्यार करने को तड़फता ,आज ये मन
गिरायेगा ,आज किस पर ,गाज ये मन
क्या हुआ यदि बढ़ गयी ,थोड़ी उमर है
क्या हुआ यदि हो गयी ,धुंधली नज़र है
क्या हुआ यदि बदन ढीला हो चला है,
बुलंदी पर मगर फिर भी होंसला है
इस कदर बेचैन और बेकल हुआ है,
शरारत से आएगा ना बाज ये मन
प्यार करने को तडफता आज ये मन
एक तो मौसम बड़ा है आशिकाना
सामने फिर रूप का मनहर खजाना
बावला सा हो गया है दिल दीवाना
है बड़ा मुश्किल ,इसे अब रोक पाना
प्रणय के मधुमिलन की उस मधुर धुन के ,
सजा कर बैठा हुआ है ,साज ये मन
प्यार करने को तडफता ,आज ये मन
इश्क पर चलता किसी का नहीं बस है
आज फिर वेलेंटाईन का दिवस है
पुष्प देकर ,प्रेम का करता प्रदर्शन
दे रहा ,अभिसार का तुमको निमंत्रण
मान जाओ,आज तुमको दिखायेगा ,
प्रेम करने के नए अंदाज ये मन
प्यार करने को तडफता आज ये मन
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
No comments:
Post a Comment