(दूसरा नजराना)
प्रेम दिवस
प्रेम का कोई दिवस होता नहीं,
प्रेम का हर एक दिन ही ख़ास है
प्रेम हर वातावरण में महकता ,
प्रेम की हर ह्रदय में उच्छ्वास है
प्रेम पूजन,प्रेम ही आराधना ,
प्रेम में परमात्मा का वास है
प्रेम तो है कृष्ण राधा का मिलन,
राम का चौदह बरस बनवास है
प्रेम मीरा के भजन में गूंजता ,
सूर के पद में इसी का वास है
सोहनी -महिवाल,रांझा -हीर और,
लैला-मजनू प्रेम का इतिहास है
प्रेम बंधन भावनाओं से भरा ,
प्रेम जीवन का मधुर अहसास है
प्रेम में ही समर्पण है,त्याग है,
एक दूजे का अटल विश्वास है
प्रेम गुड का स्वाद गूंगा जानता ,
पर न कह पाता ,वही आभास है
जो समझ ले ढाई आखर प्रेम का,
तो समझ लो,प्रभु उसके पास है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
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