राहुल बाबा की गुहार
मम्मी ,तुम्हारे चमचों ने ,मुझ पर इतना जुलम किया है
बाबा बाबा कहते कहते ,मुझको बाबा बना दिया है
मुझको राजपाट दिलवाने ,आगे बढ़ ,डुग डुगी बजाते
लेकिन नहीं ढूंढते दुल्हन ,दुल्हा राजा मुझे बनाते
गृहस्थाश्रम की उमर पार करने में बाकी चंद बरस है
सर के बाल लगे है उड़ने ,मेरी हालत जस की तस है
बड़े बड़े हो गये भानजे ,जिद करते है ,मामी लाऊं
कैसे मै उनको समझाऊँ ,कैसे निज मन को समझाऊं
इन चमचों के चक्कर में ,मै ,गाँव गाँव भटका करता हूँ
कभी दलित के घर पर खाता ,कभी झोपड़ी में रुकता हूँ
बाबाओं के सभी काम ये चमचे है मुझसे करवाते
यूं ही बूढा हो जाउंगा , ऐसे अपनी छवि बनाते
मै तो बड़ा तंग आया हूँ ,पानी पीकर घाट घाट का
भरमाते है ,मुझे दिखा कर ,सुन्दर सपना राजपाट का
हम तुम जाने ,ये सब चमचे ,केवल मतलब के बन्दे है
मख्खन हमें लगाते रहते ,सत्तालोलुप है ,अंधे है
इसीलिये कृपया मम्मीजी ,अपने लिए बहू ले आओ
सचमुच बाबा ना बन जाऊं ,बाबापन से मुझे बचाओ
इसी तरह बाबा बन कर के ,जीवन जाता नहीं जिया है
मम्मी तुम्हारे चमचों ने,मुझ पर कितना जुलम किया है
घोटू
मम्मी ,तुम्हारे चमचों ने ,मुझ पर इतना जुलम किया है
बाबा बाबा कहते कहते ,मुझको बाबा बना दिया है
मुझको राजपाट दिलवाने ,आगे बढ़ ,डुग डुगी बजाते
लेकिन नहीं ढूंढते दुल्हन ,दुल्हा राजा मुझे बनाते
गृहस्थाश्रम की उमर पार करने में बाकी चंद बरस है
सर के बाल लगे है उड़ने ,मेरी हालत जस की तस है
बड़े बड़े हो गये भानजे ,जिद करते है ,मामी लाऊं
कैसे मै उनको समझाऊँ ,कैसे निज मन को समझाऊं
इन चमचों के चक्कर में ,मै ,गाँव गाँव भटका करता हूँ
कभी दलित के घर पर खाता ,कभी झोपड़ी में रुकता हूँ
बाबाओं के सभी काम ये चमचे है मुझसे करवाते
यूं ही बूढा हो जाउंगा , ऐसे अपनी छवि बनाते
मै तो बड़ा तंग आया हूँ ,पानी पीकर घाट घाट का
भरमाते है ,मुझे दिखा कर ,सुन्दर सपना राजपाट का
हम तुम जाने ,ये सब चमचे ,केवल मतलब के बन्दे है
मख्खन हमें लगाते रहते ,सत्तालोलुप है ,अंधे है
इसीलिये कृपया मम्मीजी ,अपने लिए बहू ले आओ
सचमुच बाबा ना बन जाऊं ,बाबापन से मुझे बचाओ
इसी तरह बाबा बन कर के ,जीवन जाता नहीं जिया है
मम्मी तुम्हारे चमचों ने,मुझ पर कितना जुलम किया है
घोटू
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