बरसों बीते ,बरस बरस कर
कभी दुखी हो ,कभी हुलस कर
जीवन सारा ,यूं ही गुजारा ,
हमने मोह माया में फंस कर
कभी किसी को बसा ह्रदय में ,
कभी किसी के दिल में बस कर
कभी दर्द ने बहुत रुलाया ,
आंसू सूखे,बरस बरस कर
और कभी खुशियों ने हमको ,
गले लगाया ,खुश हो,हंस कर
हमने जिनको दूध पिलाया ,
वो ही गए हमें डस डस कर
यूं तो बहुत हौंसला है पर,
उम्र गयी हमको बेबस कर
और बुढ़ापा ,लाया स्यापा ,
कब तक जीयें,तरस तरस कर
ऊपर वाले ,तूने हमको ,
बहुत नचाया,अब तो बस कर
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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