Tuesday, September 24, 2013

चाशनी

                चाशनी

पानी को ,चीनी के साथ,
जब गर्मी देकर उबाला जाता है
एक मधुर ,रसीला तरल पदार्थ बन जाता है ,
जो चाशनी कहलाता है
और ये चाशनी जिस पर भी चढ़ जाती है
उसका स्वाद और लज्जत ही बदल जाती है
फटा हुआ दूध भी ,
जब इस चाशनी में उबाला जाता है
रसगुल्ला बन जाता है
और ओटे हुए दूध की गोलियां तल कर,
जब इसमें डाली जाती है
गुलाब जामुन बन जाती है
 सड़ा  हुआ मैदा ,जब अटपटे ,उलटे सीधे ,
उलझे हुए आकारों में तल कर,
जब इसका रस पी लेता है
जलेबी बन कर ,गजब का स्वाद देता है
मैदा या  बेसन,जब अलग अलग आकारों में ,
इसका संग पाते है
तो कभी घेवर ,कभी फीनी ,
कभी बालूशाही बन जाते है  
सिका  हुआ आटा ,सूजी,या पीसी हुई मूंगदाल,
जब इसके संपर्क में आती है
तो हलवा बन कर लुभाती है
ये सारे रसासिक्त व्यंजन
भूख जगाते है और मोहते है मन
पर मुझे इन सबसे ज्यादा ,
लगती है मनमोहक और लुभावनी
तेरा मदभरा प्यार और तेरे रूप की चाशनी

मदन मोहन बाहेती'घोटू'


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