पत्थर के भी दिल होता है
दिखती काली घनघोर घटा ,पर उसमे होता शीतल जल
बाहर से सख्त मगर अन्दर ,होता है स्वाद भरा नारियल
मिलती गुणकारी शिलाजीत ,पत्थर पसीजते है जब जब
कांटे तन पर,पर तना चीर ,देते तरु गोंद , शक्तिवर्धक
पत्थर दिल लोगों के मन में ,भी रहता छुप,दब ,दया ,रहम
दुर्दान्त दस्यु भी बाल्मीकि बन कर लिख देते रामायण
कोई कितना भी सख्त ह्रदय ,दिखता हो पर उसके अन्दर
कोमलता होती छुपी हुई ,देखो टटोल कर उर अंतर
जो विषम परिस्तिथी के कारण ,पाषाण ह्रदय जा बनता है
पर उसे प्रेम की गरमी से ही पिघलाया जा सकता है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
दिखती काली घनघोर घटा ,पर उसमे होता शीतल जल
बाहर से सख्त मगर अन्दर ,होता है स्वाद भरा नारियल
मिलती गुणकारी शिलाजीत ,पत्थर पसीजते है जब जब
कांटे तन पर,पर तना चीर ,देते तरु गोंद , शक्तिवर्धक
पत्थर दिल लोगों के मन में ,भी रहता छुप,दब ,दया ,रहम
दुर्दान्त दस्यु भी बाल्मीकि बन कर लिख देते रामायण
कोई कितना भी सख्त ह्रदय ,दिखता हो पर उसके अन्दर
कोमलता होती छुपी हुई ,देखो टटोल कर उर अंतर
जो विषम परिस्तिथी के कारण ,पाषाण ह्रदय जा बनता है
पर उसे प्रेम की गरमी से ही पिघलाया जा सकता है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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