घोटू के छंद
कन्या के फेर में
संतों का भेष धरे,छिप छिप व्यभिचार करे ,
अपनी तिजोरी भरे ,प्रवचन के खेल में
कान्हा का रूप सजा ,गोपिन संग रास रचा ,
बहुत उठाया मज़ा ,भक्तिन संग मेल में
खा कर के स्वर्ण भसम ,खूब खुल के खेले हम,
मगर फंसे कुछ ऐसे ,कन्या के फेर में
आशा निराशा भयी ,ऐसी हताशा भयी ,
बेटा है भाग रहा ,और हम हैं जेल में
घोटू
कन्या के फेर में
संतों का भेष धरे,छिप छिप व्यभिचार करे ,
अपनी तिजोरी भरे ,प्रवचन के खेल में
कान्हा का रूप सजा ,गोपिन संग रास रचा ,
बहुत उठाया मज़ा ,भक्तिन संग मेल में
खा कर के स्वर्ण भसम ,खूब खुल के खेले हम,
मगर फंसे कुछ ऐसे ,कन्या के फेर में
आशा निराशा भयी ,ऐसी हताशा भयी ,
बेटा है भाग रहा ,और हम हैं जेल में
घोटू
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