जीवन के दो रंग
१
बचपने में लहलहाती घास थे
मस्तियाँ,शैतानियां ,उल्लास थे
ना तो थी चिता कोई,ना ही फिकर ,
मारते थे मस्तियाँ,बिंदास थे
२
हुई शादी ,किले सारे ढह गये
दिल के अरमां ,आंसुओं में बह गये
लहलहाती घास ,बीबी चर गयी,
पी गयी वो दूध ,गोबर रह गये
घोटू
१
बचपने में लहलहाती घास थे
मस्तियाँ,शैतानियां ,उल्लास थे
ना तो थी चिता कोई,ना ही फिकर ,
मारते थे मस्तियाँ,बिंदास थे
२
हुई शादी ,किले सारे ढह गये
दिल के अरमां ,आंसुओं में बह गये
लहलहाती घास ,बीबी चर गयी,
पी गयी वो दूध ,गोबर रह गये
घोटू
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