Thursday, December 12, 2013

तेरे आगोश में

      तेरे  आगोश में

भीग कर तेरे लबों की ओस में
कोई रह सकता है कैसे होंश में
इस तरह छा जाती है दीवानगी ,
खून रग में,उबलता है जोश में
मन यही करता है कि बस पीते रहें ,
मधु संचित जितना है मधुकोश में
आरजू है ,काट दें ये जिंदगी ,
बस यूं ही बंध कर तेरे आगोश में
इस तरह हम डूब जाये  प्यार में,
बावरी सी रहो तुम ,मदहोश मै

घोटू

No comments:

Post a Comment