अलग उनको रख दिया
घर के बर्तन चमचमाते ,आये कितने काम में ,
मोच खा जब थे पुराने ,अलग उनको रख दिया
जब तलक मतलब था हमसे ,काम वो लेते रहे ,
और फिर कोई बहाने ,अलग हमको कर दिया
हम ने उनके गुलाबी रुखसार को सहला दिया ,
लगी वो नखरे दिखाने ,अलग हमको कर दिया
होली के दिन पहनने में काम ये आ जायेंगे ,
हुये जब कपडे पुराने ,अलग उनको रख दिया
बोखे मुंह से ,हमने चुम्बन ,अपनी बुढ़िया का लिया ,
दांत नकली ना चुभाने ,अलग उनको रख दिया
छेद थे बनियान में,पर रखा सीने से लगा ,
फटा कुरता ,ना दिखाने ,अलग उसको रख दिया
जिनको उनने , पाला पोसा ,पेट अपना काट कर ,
लगे जब खाने कमाने ,अलग उनको कर दिया
पाँव छूने और छुलाने की गए बन चीज वो ,
हुए जब माँ बाप बूढ़े ,अलग उनको कर दिया
ये जमाने का चलन है ,क्यों दुखी होते हो तुम ,
हुए तुम फेशन पुराने ,अलग तुमको कर दिया
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
घर के बर्तन चमचमाते ,आये कितने काम में ,
मोच खा जब थे पुराने ,अलग उनको रख दिया
जब तलक मतलब था हमसे ,काम वो लेते रहे ,
और फिर कोई बहाने ,अलग हमको कर दिया
हम ने उनके गुलाबी रुखसार को सहला दिया ,
लगी वो नखरे दिखाने ,अलग हमको कर दिया
होली के दिन पहनने में काम ये आ जायेंगे ,
हुये जब कपडे पुराने ,अलग उनको रख दिया
बोखे मुंह से ,हमने चुम्बन ,अपनी बुढ़िया का लिया ,
दांत नकली ना चुभाने ,अलग उनको रख दिया
छेद थे बनियान में,पर रखा सीने से लगा ,
फटा कुरता ,ना दिखाने ,अलग उसको रख दिया
जिनको उनने , पाला पोसा ,पेट अपना काट कर ,
लगे जब खाने कमाने ,अलग उनको कर दिया
पाँव छूने और छुलाने की गए बन चीज वो ,
हुए जब माँ बाप बूढ़े ,अलग उनको कर दिया
ये जमाने का चलन है ,क्यों दुखी होते हो तुम ,
हुए तुम फेशन पुराने ,अलग तुमको कर दिया
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
No comments:
Post a Comment