Sunday, March 9, 2014

अलग उनको रख दिया

      अलग उनको रख दिया

घर के बर्तन चमचमाते ,आये कितने काम में ,
         मोच खा जब थे पुराने ,अलग उनको रख   दिया
जब तलक मतलब था हमसे ,काम वो  लेते रहे ,
         और  फिर कोई बहाने ,अलग   हमको  कर दिया
हम ने उनके   गुलाबी रुखसार को सहला दिया ,
          लगी वो नखरे दिखाने ,अलग हमको  कर दिया
होली के दिन पहनने में काम ये आ जायेंगे ,
           हुये जब कपडे पुराने ,अलग उनको रख दिया
बोखे मुंह से ,हमने चुम्बन ,अपनी बुढ़िया का लिया ,
        दांत नकली ना   चुभाने ,अलग  उनको रख दिया
 छेद थे बनियान में,पर रखा सीने से लगा ,
           फटा कुरता ,ना दिखाने ,अलग उसको रख दिया
जिनको उनने , पाला पोसा  ,पेट अपना काट कर ,
            लगे जब खाने कमाने ,अलग उनको कर दिया
पाँव छूने और छुलाने की गए बन चीज वो ,
             हुए जब माँ बाप बूढ़े ,अलग उनको  कर  दिया
ये जमाने का चलन है ,क्यों दुखी होते हो तुम ,
              हुए तुम फेशन पुराने ,अलग तुमको कर दिया
               
 मदन मोहन बाहेती'घोटू'

No comments:

Post a Comment