कमी हम मे रही होगी
उन्होंने छोड़ हमको थामा दामन ,और कोई का,
कमी हम में ही निश्चित ही,कुछ न कुछ तो रही होगी
हमारे ही मुकद्दर में ,नहीं थी दोस्ती उनकी ,
गलत हम ही रहे होंगे ,और वो ही सही होगी
नहीं किस्मत में ये होगा ,जुल्फ सहलाएं हम उनकी,
और उनके रस भरे प्यारे ,लबों का ले सके चुम्बन
बांह में बाँध कर के फूल जैसे बदन को कोमल,
महकते जिस्म की उनके,चुरा लें सारी खुशबू हम
नहीं तक़दीर में लिख्खी थी इतने हुस्न की दौलत ,
जिसे संभाल कर के रख सकें ,अपने खजाने में
करे थे यत्न कितने ही कि उनको कर सकें हासिल,
मिली नाकामयाबी हमको ,उनका साथ पाने में
या फिर उनके मुकद्दर में ,कोई बेहतर लिखा होगा ,
करी कोशिश हमने पर,कशिश हम में,नहीं होगी
उन्होंने छोड़ हम को ,थामा दामन और कोई का,
कमी हम में ही निश्चित ही,कुछ न कुछ तो रही होगी
वो उनका मुस्कराना ,वो अदाएं चाल वो उनकी ,
और वो संगेमरमर का,तराशा सा बदन उनका
गुलाबी गाल की रंगत ,दहकते होंठ प्यारे से ,
कमल से फूल सा नाजुक ,वो गदराया सा तन उनका
तमन्ना थी कि उनका हाथ लेकर हाथ में अपने ,
काट दें साथ उनके सफर सारा जिंदगानी का
मगर अरमान सारे रह गए बस दिलके दिल में ही ,
यही अंजाम होना था, हमारी इस कहानी का
खुदा ही जानता है ,बिछड़ कर अब कब मिलेंगे हम,
न जाने हम कहाँ होंगे,न जाने वो कहीं होगी
उन्होंने छोड़ हमको ,थामा दामन और कोई का,
कमी हम में ही ,निश्चित ही,कुछ न कुछ तो रही होगी
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
उन्होंने छोड़ हमको थामा दामन ,और कोई का,
कमी हम में ही निश्चित ही,कुछ न कुछ तो रही होगी
हमारे ही मुकद्दर में ,नहीं थी दोस्ती उनकी ,
गलत हम ही रहे होंगे ,और वो ही सही होगी
नहीं किस्मत में ये होगा ,जुल्फ सहलाएं हम उनकी,
और उनके रस भरे प्यारे ,लबों का ले सके चुम्बन
बांह में बाँध कर के फूल जैसे बदन को कोमल,
महकते जिस्म की उनके,चुरा लें सारी खुशबू हम
नहीं तक़दीर में लिख्खी थी इतने हुस्न की दौलत ,
जिसे संभाल कर के रख सकें ,अपने खजाने में
करे थे यत्न कितने ही कि उनको कर सकें हासिल,
मिली नाकामयाबी हमको ,उनका साथ पाने में
या फिर उनके मुकद्दर में ,कोई बेहतर लिखा होगा ,
करी कोशिश हमने पर,कशिश हम में,नहीं होगी
उन्होंने छोड़ हम को ,थामा दामन और कोई का,
कमी हम में ही निश्चित ही,कुछ न कुछ तो रही होगी
वो उनका मुस्कराना ,वो अदाएं चाल वो उनकी ,
और वो संगेमरमर का,तराशा सा बदन उनका
गुलाबी गाल की रंगत ,दहकते होंठ प्यारे से ,
कमल से फूल सा नाजुक ,वो गदराया सा तन उनका
तमन्ना थी कि उनका हाथ लेकर हाथ में अपने ,
काट दें साथ उनके सफर सारा जिंदगानी का
मगर अरमान सारे रह गए बस दिलके दिल में ही ,
यही अंजाम होना था, हमारी इस कहानी का
खुदा ही जानता है ,बिछड़ कर अब कब मिलेंगे हम,
न जाने हम कहाँ होंगे,न जाने वो कहीं होगी
उन्होंने छोड़ हमको ,थामा दामन और कोई का,
कमी हम में ही ,निश्चित ही,कुछ न कुछ तो रही होगी
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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