Wednesday, July 30, 2014

हर युग का किस्सा

               हर युग का किस्सा

कहीं कोई अपहरण हो गया ,चीर किसी का हरण हो गया ,
पति ने पत्नी को मरवाया ,समाचार ये नित्य  आ रहा
सम्पति के विवाद में भाई ने भाई को मारी गोली,
सुन कर समाचार हम कहते ,कैसा कलयुग घोर छारहा
किन्तु अगर इतिहास उठा कर,देखेंगे तो ये पाएंगे ,
इस युग की ही बात नहीं है ,यह तो है हर युग का किस्सा 
जार,जोरू ,जमीन का झगड़ा ,युगों युगों से चलता आया ,
महाभारत का युद्ध हो गया ,पाने अपना अपना  हिस्सा
हर युग में कैकेयी जैसी माताओं में कुमति जागती,
और राम को चौदह वर्षों का वनवास मिला करता है
हर युग में होता है रावण ,जो साधू का वेष धार कर ,
लक्ष्मण रेखा लंघवाता है,भोली सीता को हरता  है
कितने भाई विभीषण जैसे,पैदा होते है हर युग मे,
जो कि घर का भेद बता कर ,मरवाते भाई रावण को
हर युग में अफवाहें सुनकर,अपनी गर्भित पत्नी को भी ,
राजाराम ,लोकमत से डर ,सीता त्याग,भेजते वन  को
ध्रुव का तिरस्कार करती है ,हर युग में सौतेली मायें  ,
मरवाता प्रह्लाद पुत्र को ,हिरण्यकश्यप,निज प्रभुता हित
और युधिष्ठिर जैसे ज्ञानी ,द्युत क्रीड़ा में ,मतवाले हो,
निज पत्नी का ,दाव लगाने में भी नहीं हिचकते,किंचित
अपनी पूजा ना होने पर,होता इंद्र कुपित हर युग में,
तो गोवर्धन उठा ,सभी की,रक्षा कान्हा करता भी है 
सात भांजे,भांजियों का ,पैदा होते,हनन करे जो,
ऐसा कंस ,आठवें भगिनी सुत के हाथों ,मरता भी है
ये सब कुछ,त्रेता,द्वापर में ,होता था,अब भी होता है
कलयुग कह कर के इस युग को,क्यों बदनाम कर रहे है हम
क्रोध,झूंठ और मोह,पिपासा ,अहम ,स्वार्थ,मानव स्वभाव है
कोई युग  कैसा  भी  आये,  ये मौजूद  रहेंगे, हरदम

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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