आंसू
आंसू सच्चे मित्र और हमदर्द दोस्त है ,
जब भी होता दर्द ,आँख में आ जाते है
देकर चुम्बन गालों को पुचकारा करते ,
धीरे धीरे बह गालों को सहलाते है
जब खुशियों के पल आते मन विव्हल होता ,
तो ये आँखों से मोती बन, बिखरा करते ,
औरजब दुख के बादल छाते,घुमड़ाते है ,
नयन नीर बन,तब ये बरस बरस जाते है
जब पसीजता है अंतरतर सुख या दुःख से,
तो यह निर्मल जल नयनों से टपका करता ,
और इनकी बूंदों में इतनी ऊष्मा होती ,
पत्थर से पत्थर दिल को भी पिघलाते है
अधिक परिश्रम करने पर या अति ग्रीष्म में,
तन के रोम रोम से स्वेद बहा करता है ,
किन्तु भाव जो मन को पिघलाया करते है ,
आँखों के रस्ते आंसू बन कर के आते है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
आंसू सच्चे मित्र और हमदर्द दोस्त है ,
जब भी होता दर्द ,आँख में आ जाते है
देकर चुम्बन गालों को पुचकारा करते ,
धीरे धीरे बह गालों को सहलाते है
जब खुशियों के पल आते मन विव्हल होता ,
तो ये आँखों से मोती बन, बिखरा करते ,
औरजब दुख के बादल छाते,घुमड़ाते है ,
नयन नीर बन,तब ये बरस बरस जाते है
जब पसीजता है अंतरतर सुख या दुःख से,
तो यह निर्मल जल नयनों से टपका करता ,
और इनकी बूंदों में इतनी ऊष्मा होती ,
पत्थर से पत्थर दिल को भी पिघलाते है
अधिक परिश्रम करने पर या अति ग्रीष्म में,
तन के रोम रोम से स्वेद बहा करता है ,
किन्तु भाव जो मन को पिघलाया करते है ,
आँखों के रस्ते आंसू बन कर के आते है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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