Thursday, September 25, 2014

सीताफल
बाहर से कितनी आँखे पर बंधे हुए हम ,
बहुमुखी प्रतिभा वाला है यक्तित्व हमारा
हरेक आँख का अपना गूदा ,अपनी गुठली ,
किन्तु साथ है,तब ही है अस्तित्व हमारा
भीतर से हम मीठे है ,स्वादिष्ट ,रसीले,
बाहर हरे भरे ,आकर्षक दिखलाते है
सीताजी जैसे नाजुक हम सीताफल है,
भरी शराफत,तभी शरीफा कहलाते है
सीताफल जैसा ही भारत देश हमारा ,
अलग अलग है धर्म,आस्था अलग अलग है
किन्तु साथ में बंधे हुए है ,इक दूजे से,
मीठे और शरीफ ,चाहता सारा जग है
घोटू

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