हम पटाखे
हम पटाखे ,हमारा अस्तित्व क्या ,
जब तलक बारूद, तब तक जान है
कोई चकरी की तरह है नाचता ,
कोई उड़ कर छू रहा आसमान है
कोई रह जाता है होकर फुस सिरफ ,
जिसमे दम है वो है बम सा फूटता
फूल कोई फुलझड़ी से खिलाता,
कोई है अनार बन कर छूटता
पटाखे ,इंसान में एक फर्क है ,
आग से आता पटाखा रंग में
और इन्सां रंग दिखाता उम्र भर ,
आग में होता समर्पित अंत में
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
हम पटाखे ,हमारा अस्तित्व क्या ,
जब तलक बारूद, तब तक जान है
कोई चकरी की तरह है नाचता ,
कोई उड़ कर छू रहा आसमान है
कोई रह जाता है होकर फुस सिरफ ,
जिसमे दम है वो है बम सा फूटता
फूल कोई फुलझड़ी से खिलाता,
कोई है अनार बन कर छूटता
पटाखे ,इंसान में एक फर्क है ,
आग से आता पटाखा रंग में
और इन्सां रंग दिखाता उम्र भर ,
आग में होता समर्पित अंत में
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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