दास्ताने इश्क़
जब कली से फूल बन कर ,हम खिले,तुम आ गए,
बन के भँवरे ,खुशबुएँ लेने को मंडराते रहे
सजा करके दिल के गुलदस्ते में हमको रख लिया ,
पिरो कर माला में हमको ,गले लिपटाते रहे
बेअदब और बेरहम हो ,नाम लेकर प्यार का ,
दबाते हमको रहे तुम और तड़फ़ाते रहे
आपकी गुस्ताखियाँ कुछ ऐसी मन को भा गयी
चाहता दिल,पेश यूं ही ,आप बस आते रहें
घोटू
जब कली से फूल बन कर ,हम खिले,तुम आ गए,
बन के भँवरे ,खुशबुएँ लेने को मंडराते रहे
सजा करके दिल के गुलदस्ते में हमको रख लिया ,
पिरो कर माला में हमको ,गले लिपटाते रहे
बेअदब और बेरहम हो ,नाम लेकर प्यार का ,
दबाते हमको रहे तुम और तड़फ़ाते रहे
आपकी गुस्ताखियाँ कुछ ऐसी मन को भा गयी
चाहता दिल,पेश यूं ही ,आप बस आते रहें
घोटू
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