केजरीवाल -३
तुम्हारे कान पर मफलर ,तुम्हारे हाथ में झाड़ू,
समझ में ये नहीं आता ,तुम्हारी शक्सियत क्या है
आदमी ,आम है सो आम है ,क्यों लिख्खा टोपी पर ,
समझ में ये नहीं आता ,तुम्हारी कैफ़ीयत क्या है
तुम अपने साथ फोटो खिचाने का लेते हो पैसा ,
पता इससे ही लग जाता ,तुम्हारी ये नियत क्या है
आप के साथ में हम बैठ कर के खा सके खाना,
आदमी आम हम इतने ,हमारी हैसियत क्या है
चुना था हमने पिछली बार भी पर टिक न पाये तुम ,
चुने जाने की अबकी बार फिरसे जरूरत क्या है
न अन्ना के ही रह पाये, न हो पाये हमारे तुम ,
बोलते कुछ हो करते कुछ तुम्हारी असलियत क्या है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
तुम्हारे कान पर मफलर ,तुम्हारे हाथ में झाड़ू,
समझ में ये नहीं आता ,तुम्हारी शक्सियत क्या है
आदमी ,आम है सो आम है ,क्यों लिख्खा टोपी पर ,
समझ में ये नहीं आता ,तुम्हारी कैफ़ीयत क्या है
तुम अपने साथ फोटो खिचाने का लेते हो पैसा ,
पता इससे ही लग जाता ,तुम्हारी ये नियत क्या है
आप के साथ में हम बैठ कर के खा सके खाना,
आदमी आम हम इतने ,हमारी हैसियत क्या है
चुना था हमने पिछली बार भी पर टिक न पाये तुम ,
चुने जाने की अबकी बार फिरसे जरूरत क्या है
न अन्ना के ही रह पाये, न हो पाये हमारे तुम ,
बोलते कुछ हो करते कुछ तुम्हारी असलियत क्या है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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