काटा काटी
१
चाकू से फल सब्जियां ,काटकाट सब खाय
कैंची टांगों बीच जो , आये सो कट जाय
आये सो कट जाए , काटते दांत कटीले
काटे कटे न रात ,काट मच्छर खूं पीले
कह घोटू कविराय ,जानता है मेरा दिल
तनहाई की रात काटना कितना मुश्किल
२
कहते है जो भौंकता , ना काटे वो 'डॉग'
बुरा शकुन यदि जाय जो,बिल्ली रस्ता काट
बिल्ली रस्ता काट ,कटीले उनके नयना
समय न कटता ,पड़े दूर जब उनसे रहना
'घोटू' उन संग सात ,अगन के काटे चक्कर
आगे पीछे काट रहे , चक्कर जीवन भर
३
मुफलिसी में कट रहे ,जनता के दिन रात
नेता चांदी काटते ,जब सत्ता हो हाथ
जब सत्ता हो हाथ , काटते दिन मस्ती में
सर कढ़ाई में और उँगलियाँ पाँचों घी में
कह 'घोटू'कविराय ,चरण तुम्हारे छूता
पदरक्षक कहलाय,,काट लेता पर जूता
४
खाते थे जो दांत की काटी रोटी , मित्र
अब है कन्नी काटते ,क्या व्यवहार विचित्र
क्या व्यवहार विचित्र ,रहे आपस में कट कर
एक दूसरे के जो रोज काटते चक्कर
कह घोटू जब स्वार्थ आदमी पर है छाता
तो फिर भाई से भाई भी है कट जाता
५
चूना ज्यादा पान में ,खाओ ,कटे जुबान
पत्नीजी की बात ना ,काट सके श्रीमान
काट सके श्रीमान, बात कर प्यारी प्यारी
पति की काटे जेब ,पत्नियां बड़ी निराली
प्यार जता कर ऐसा काटे और फुसलाये
अब तक उसका काट ,देव तक जान न पाये
६
'घोटू' तुम उड़ते रहो ,बंधे डोर के संग
वरना कट हो जाओगे ,जैसे कटी पतंग
जैसे कटी पतंग ,कटे ना जीवन रस्ता
कटे कटे से रह कर होगी हालत खस्ता
कह घोटू कविराय ,उमर भर काटा स्यापा
संकट काटो प्रभू ,चैन से कटे बुढ़ापा
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
१
चाकू से फल सब्जियां ,काटकाट सब खाय
कैंची टांगों बीच जो , आये सो कट जाय
आये सो कट जाए , काटते दांत कटीले
काटे कटे न रात ,काट मच्छर खूं पीले
कह घोटू कविराय ,जानता है मेरा दिल
तनहाई की रात काटना कितना मुश्किल
२
कहते है जो भौंकता , ना काटे वो 'डॉग'
बुरा शकुन यदि जाय जो,बिल्ली रस्ता काट
बिल्ली रस्ता काट ,कटीले उनके नयना
समय न कटता ,पड़े दूर जब उनसे रहना
'घोटू' उन संग सात ,अगन के काटे चक्कर
आगे पीछे काट रहे , चक्कर जीवन भर
३
मुफलिसी में कट रहे ,जनता के दिन रात
नेता चांदी काटते ,जब सत्ता हो हाथ
जब सत्ता हो हाथ , काटते दिन मस्ती में
सर कढ़ाई में और उँगलियाँ पाँचों घी में
कह 'घोटू'कविराय ,चरण तुम्हारे छूता
पदरक्षक कहलाय,,काट लेता पर जूता
४
खाते थे जो दांत की काटी रोटी , मित्र
अब है कन्नी काटते ,क्या व्यवहार विचित्र
क्या व्यवहार विचित्र ,रहे आपस में कट कर
एक दूसरे के जो रोज काटते चक्कर
कह घोटू जब स्वार्थ आदमी पर है छाता
तो फिर भाई से भाई भी है कट जाता
५
चूना ज्यादा पान में ,खाओ ,कटे जुबान
पत्नीजी की बात ना ,काट सके श्रीमान
काट सके श्रीमान, बात कर प्यारी प्यारी
पति की काटे जेब ,पत्नियां बड़ी निराली
प्यार जता कर ऐसा काटे और फुसलाये
अब तक उसका काट ,देव तक जान न पाये
६
'घोटू' तुम उड़ते रहो ,बंधे डोर के संग
वरना कट हो जाओगे ,जैसे कटी पतंग
जैसे कटी पतंग ,कटे ना जीवन रस्ता
कटे कटे से रह कर होगी हालत खस्ता
कह घोटू कविराय ,उमर भर काटा स्यापा
संकट काटो प्रभू ,चैन से कटे बुढ़ापा
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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